अगले 3 महीने पूरे उत्तर में ठंड के रिकॉर्ड टूटेंगे, तापमान लगातार सामान्य से नीचे ही रहेगा https://ift.tt/33sGqUR
अगले तीन महीने यानी दिसंबर से फरवरी 2021 तक उत्तर भारत के सभी राज्यों में कड़ाके की ठंड पड़ेगी। इसका असर मध्य भारत तक रहेगा। यहां जबरदस्त शीतलहर चलेगी। मौसम विभाग ने रविवार को सर्दी के तापमान का पूर्वानुमान जारी किया।
उत्तर भारत में इन तीन महीनों में न्यूनतम तापमान सामान्य से कम रहने की संभावना है। हालांकि, अधिकतम तापमान सामान्य से कुछ बढ़े रहने की संभावना है। मैदानी इलाकों में राजस्थान में सबसे ज्यादा कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, यूपी, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, प. बंगाल, ओडिशा व पूर्वोत्तर के राज्यों में दिन का अधिकतम तापमान सामान्य से डेढ़ डिग्री तक अधिक रहने की संभावना है। मौसम विभाग के मुताबिक मध्य व पूर्वी भूमध्य प्रशांत महासागर में समुद्र सतह का तापमान सामान्य से कम है।
मार्च तक ऐसी स्थिति ही बनी रहेगी
प्रशांत महासागर में मध्यम दर्जे के ला-नीना की स्थितियां बनी हुई हैं। इसके कारण कम से कम सर्दी के मौसम के आखिर तक यानी मध्य मार्च तक ऐसे ही बने रहने की संभावना है। मौसम विज्ञानी डॉ. कुलदीप श्रीवास्तव का कहना है कि न्यूनतम तापमान में कमी के चलते सुबह के समय पहाड़ी राज्यों से लेकर उत्तर के सभी राज्यों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश व राजस्थान में जबरदस्त शीत लहर चलेगी, जबकि अधिकतम तापमान के अपेक्षाकृत बढ़ने के असर से ठंडे दिनों की संख्या कम हो सकती है।
इसका कारण पश्चिमी विक्षोभ के आने से पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी होना है। पहाड़ की ओर से आने वाली हवाएं व उत्तर व उत्तर-पश्चिमी भारत के मैदानी इलाकों में आसमान के साफ रहने से रात में तापमान गिरेगा और दिन में धूप खिलने से तापमान बढ़ेगा।
पहाड़ों में 11 से 15 बार विक्षोभ आएगा, हर बार बर्फबारी होगी
मौसम विभाग के मुताबिक कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल, उत्तराखंड में अगले तीन महीने के दौरान 11 से 15 बार विक्षोभ आएगा। दिसंबर में तीन से चार, जनवरी में पांच से छह और फरवरी में चार से पांच विक्षोभ आएगा।
हर विक्षोभ के समय बार बर्फबारी का दौर देखने को मिलेगा। राजस्थान में न्यूनतम तापमान में 1.17 डिग्री की कमी रहने की संभावना है। इसके अलावा पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, यूपी, बिहार, झारखंड, मप्र, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा में सामान्य से कम तापमान दर्ज होने की संभावना 50% से भी ज्यादा है।
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