Breaking News

5 शुभ योगों में मनेगा पर्व; 7 साल बाद शुक्रवार और शरद पूर्णिमा योग, इसके बाद 2033 में बनेगा ये संयोग https://ift.tt/3jIdwp3

30 अक्टूबर को शरद ऋतु में आने वाली अश्विन महीने की पूर्णिमा है। इसलिए इस दिन शरद पूर्णिमा पर्व मनाया जाएगा। माना जाता है समुद्र मंथन के दौरान शरद पूर्णिमा पर ही देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थी। इसलिए इसे लक्ष्मीजी के प्राकट्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता है और इस दिन मां लक्ष्मी की विशेष पूजा भी की जाती है।

इस बार शुक्रवार को शरद पूर्णिमा का योग बन रहा है। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र का कहना है कि 7 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है। इससे पहले 18 अक्टूबर 2013 में शुक्रवार को ये पर्व मनाया गया था। अब 13 साल बाद यानी 7 अक्टूबर 2033 को ये संयोग बनेगा। शुक्रवार को पूर्णिमा के होने से इसका शुभ फल और बढ़ जाएगा। साथ ही इस बार शरद पूर्णिमा का चंद्रोदय सर्वार्थसिद्धि और लक्ष्मी योग में हो रहा है, जिससे इस दिन लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व रहेगा।

30 को शरद पूर्णिमा, 31 को व्रत और स्नान-दान
ज्योतिषाचार्य पं. मिश्र बताते हैं कि देशभर के महत्वपूर्ण पंचांगों के मुताबिक, अश्विन महीने की पूर्णिमा तिथि 30 अक्टूबर को शाम करीब पौने 6 बजे से शुरू हो जाएगी और रातभर पूर्णिमा तिथि रहेगी। इसलिए शुक्रवार की रात को शरद पूर्णिमा पर्व मनाया जाएगा। पूर्णिमा तिथि अगले दिन यानी 31 अक्टूबर को पूरे दिन रहेगी और रात को करीब 8 बजे खत्म हो जाएगी। इसलिए शनिवार को पूर्णिमा व्रत, पूजा, तीर्थ स्नान और दान किया जाना चाहिए।

5 शुभ योगों में उदय होगा चंद्रमा
इस साल शरद पूर्णिमा के चंद्रमा का उदय 5 शुभ योगों में होगा। जिनके प्रभाव से अच्छी सेहत और धन लाभ होगा। पं. मिश्र बताते हैं कि पूर्णिमा पर तिथि, वार और नक्षत्र से मिलकर सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है। इस योग में किए गए सभी काम सिद्ध होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही लक्ष्मी, शंख, महाभाग्य और शश नाम के 4 राजयोग योग बनने से ये दिन और भी खास रहेगा। इस पर्व पर बृहस्पति और शनि का अपनी-अपनी राशियों में होना भी शुभ संयोग है।

खरीदारी का शुभ मुहूर्त
30 अक्टूबर, शुक्रवार को प्रॉपर्टी खरीदी के लिए विशेष शुभ मुहूर्त बन रहा है। शरद पूर्णिमा पर सर्वार्थसिद्धि योग होने से इलेक्ट्रॉनिक सामान, ज्वेलरी, फर्नीचर, व्हीकल और सुख-सुविधा देने वाले अन्य सामानों की खरीदारी की जा सकती है। इस दिन रवियोग और अमृतसिद्धि योग दोपहर 3 बजे तक रहेंगे। इसलिए इससे पहले खरीदारी करना ज्यादा शुभ है। हालांकि, सर्वार्थसिद्धि योग पूरे दिन और रात तक रहेगा।

शरद पूर्णिमा: श्रीकृष्ण का महारास और लक्ष्मीजी का प्राकट्य
1. महारास:
इसी दिन श्रीकृष्ण महारास करते हैं। ये एक यौगिक क्रिया है। इसमें भगवान कृष्ण की ही शक्ति के अंश गोपिकाओं के रूप में घूमते हुए एक जगह इकट्ठा होते हैं। चंद्रमा की रोशनी के जरिये प्रकृति में ऊर्जा फैलाने के लिए ऐसा होता है। देवी भागवत महापुराण में महारास के बारे में बताया गया है।

2. लक्ष्मी प्राकट्य दिवस: कहा जाता है। जब समुद्र मंथन हो रहा था तब, अश्विन महीने की पूर्णिमा पर मंथन से महालक्ष्मी प्रकट हुईं। देवी लक्ष्मी के प्रकट होने से इस दिन को पर्व कहा गया है। इस दिन लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है और कौमुदी व्रत रखा जाता है।

3. औषधीय महत्व: शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से अमृत बरसाता है। इस रात में औषधियां चंद्रमा की रोशनी के जरिये तेजी से खुद में अमृत सोखतीं हैं। इसलिए इस दिन चंद्रमा के प्रभाव वाली चीज यानी दूध से खीर बनाई जाती है और चांदी के बर्तन में चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है। ऐसा करने से उसमें औषधीय गुण आ जाते हैं। माना जाता है उस खीर को खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। जिससे कई तरह की बीमारियों से राहत मिलती है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
5 auspicious yogas; After 7 years, Friday and Sharad Purnima Yoga, after this, will be made in 2033


कोई टिप्पणी नहीं