मोदी और नेहरू दोनों ने पीएम फंड बनाए; क्या अंतर है केयर्स फंड में और नेशनल रिलीफ फंड में? इस पर विवाद क्या है? https://ift.tt/3hLAevf
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 को काबू करने के लिए मार्च में लॉकडाउन की घोषणा की। उसके कुछ ही दिन बाद 27 मार्च को एक फंड बनाया। नाम दिया- पीएम सिटीजन असिस्टेंस एंड रिलीफ इन इमरजेंसी सिचुएशंस (पीएम केयर्स) फंड। साथ ही कहा कि इसमें जो भी राशि जमा होगी वह कोविड-19 से जुड़े कार्यों पर खर्च होगी। दो दिन पहले संसद में भी इस फंड को लेकर बड़ा हंगामा हुआ।
विपक्ष का कहना है कि जब पहले से पीएम नेशनल रिलीफ फंड है तो अलग से फंड बनाने की आवश्यकता क्या थी? इसका कामकाज इतना गोपनीय क्यों रखा जा रहा है? मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया था, लेकिन वहां भी इसकी पहचान कायम रही।
क्या है पीएम केयर्स फंड और इसमें डोनेशन का क्या लाभ है?
- कोविड-19 महामारी से पीड़ित लोगों की मदद के लिए डेडिकेटेड नेशनल फंड की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ‘आपात स्थितियों में प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और राहत कोष (पीएम केयर्स फंड)’ के नाम से यह सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट बनाया है।
- इस फंड में पूरी तरह से व्यक्तियों/संगठनों से स्वैच्छिक योगदान लिया जा रहा है। इसे कोई बजटीय सहायता नहीं मिलती है। पीएम-केयर्स फंड में दान दी गई रकम पर इनकम टैक्स से 100 फीसदी छूट मिलेगी। यह राहत इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80जी के तहत मिलेगी।
- पीएम-केयर्स फंड में दान भी कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत सीएसआर खर्च के रूप में गिना जाएगा। इस फंड को भी एफसीआरए के तहत छूट मिली है। विदेशों से दान प्राप्त करने के लिए एक अलग खाता खोला गया है। इससे विदेशों में स्थित व्यक्ति और संगठन फंड में दान दे सकते हैं।
- मोदी की अपील का असर यह हुआ कि लोगों ने फंड में तत्काल पैसे डालना शुरू किए। कई कंपनियों ने अपने-अपने कर्मचारियों के एक दिन का वेतन इसमें जमा किया, लेकिन साथ ही यह फंड विवादों में फंसना शुरू हो गया।
क्या आपत्ति है पीएम केयर्स फंड को लेकर?
PM cares fund is a non-transparent fund, RTI application seeking information about donations and donors have been rejected. That is why we are asking various questions: Shri @adhirrcinc#CongressInParliament pic.twitter.com/nQveGesvuF
— Congress (@INCIndia) September 19, 2020
- अब पीएम केयर्स फंड को लेकर सबसे पहले कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने आपत्ति उठाई थी। उन्होंने कहा था कि जब पीएमएनआरएफ है तो अलग से नया फंड बनाने की जरूरत क्या है? कांग्रेस के कई नेताओं के साथ-साथ विपक्ष ने भी इस मुद्दे पर सवाल उठाए।
- एक और बड़ी आपत्ति यह थी कि पीएम केयर्स फंड से जो भी खर्च होगा उसका हिसाब-किताब नहीं मिलेगा। आरटीआई कानून के तहत इसे पब्लिक अथॉरिटी मानने से इनकार कर दिया गया। कुछ आरटीआई कार्यकर्ताओं ने इसकी जानकारी मांगी, लेकिन कोई सूचना नहीं दी गई।
- पीएम केयर्स फंड को लेकर एक और आपत्ति यह थी कि इसका ऑडिट नहीं होगा। आलोचना होने पर पीएमओ ने फंड के लिए ऑडिटर भी नियुक्त किया। इससे पहले एक सरकारी समिति ने सीएसआर योगदान को फंड में लेने का विरोध किया था। ऐसे डोनेशन से कंपनियों को डबल टैक्स छूट मिलेगी।
From encroaching upon autonomy of institutions to cutting the MPLADS funds which is rightfully the citizens' to avoiding accountability regarding the working of the PM Cares fund, the BJP has stooped to new lows. #CongressInParliament opposes it all & stands strong with India. pic.twitter.com/1CXIEQG33l
— Congress (@INCIndia) September 18, 2020
पीएम केयर्स फंड को लेकर संसद में विवाद क्यों हुआ?
- लोकसभा में शुक्रवार को टैक्सेशन बिल पेश किया गया। इसमें पीएम केयर्स फंड का जिक्र हुआ और इसके बाद संसद सदस्यों ने एक-दूसरे के लिए डाकू, कल का छोकरा, गधा और लुटेरा जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल किया। चार घंटे तक हंगामा होता रहा।
- दरअसल, बिल पर चर्चा के दौरान विपक्ष के सभी सदस्यों ने पीएम केयर्स फंड पर सवाल उठाए। शशि थरूर, कल्याण बनर्जी, अधीर रंजन चौधरी, सौगत राय ने इसके गठन मेंं कानून का पालन नहीं करने के आरोप लगाए। विपक्ष ने पारदर्शिता पर भी सवाल उठाया।
- इस पर वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि विपक्ष अब पीएम केयर्स फंड के पीछे पड़े हैं। नेहरू ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा कोष तो बनाया, लेकिन इसे रजिस्टर्ड नहीं कराया। पूरा का पूरा फंड नेहरू-गांधी परिवार को लाभ पहुंचाने के लिए बनाया गया। इसके बाद तो बहस इतनी बढ़ी कि अनुराग ने कांग्रेस सांसदों को एक परिवार का गुलाम तक बताया।
“पीएम-केयर्स में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सदस्य नहीं हैं,मगर PMNRF में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष क्यों हैं।गांधी परिवार ने देश को अपनी जागीर समझ कर अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए सरकारी मशीनरी व सार्वजनिक धन का बड़ी बेशर्मी से दोहन किया है”
— Office of Mr. Anurag Thakur (@Anurag_Office) September 20, 2020
श्री @ianuragthakur pic.twitter.com/ntyzntlRoq
क्या वाकई में सोनिया गांधी भी पीएमएनआरएफ का खर्च तय करती थीं?
- संसद में बहस के दौरान वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने आरोप लगाया कि पीएमएनआरएफ का खर्च तय करने वालों में कांग्रेस अध्यक्ष भी शामिल थे। सोनिया गांधी की भी इसमें भूमिका थी। इस पर कांग्रेस ने आपत्ति उठाई और जमकर विरोध किया।
- सच्चाई यह है कि जब नेहरू ने यह फंड बनाया तब उसका उद्देश्य विभाजन से प्रभावित हुए लोगों की मदद करना था। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष को भी रखा था। 1985 में यह व्यवस्था बदली और इसका अधिकार पूरी तरह से प्रधानमंत्री ऑफिस के पास आ गया। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष की कोई भूमिका नहीं है। यानी सोनिया गांधी की भी कोई सीधे-सीधे भूमिका कभी नहीं रही।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में क्या कहा?
- पीएम केयर्स फंड को लेकर उठ रहे विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि इसका पैसा प्रधानमंत्री आपदा राहत कोष या एनडीआरएफ में जमा करने की जरूरत नहीं है। इस तरह पीएम केयर्स फंड को एक अलग पहचान मिल गई।
- हालांकि, जब विवाद बढ़ गया तो पीएम केयर्स फंड को लेकर आधिकारिक वेबसाइट पर सवालों के जवाब दिए गए। इसमें बताया कि इसमें कितने पैसे इकट्ठा हुए हैं और इसका कहां-कहां इस्तेमाल किया गया है।
- वेबसाइट पर बताया गया कि 2019-20 के दौरान 3,076.62 करोड़ रुपए इकट्ठे हुए। इस फंड में 39.68 लाख रुपए का फंड विदेश से भी आया है। इसके मुताबिक 2000 करोड़ रुपए से भारत में बने 50 हजार वेंटिलेटर सरकारी अस्पतालों में बांटे गए। एक हजार करोड़ रुपए प्रवासी मजदूरों पर खर्च हुए। वहीं, 100 करोड़ रुपए वैक्सीन बनाने के लिए दिए गए।
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