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बिहार में एक मरीज के इलाज-स्वास्थ्य सुविधाओं पर 45 हजार रु. से ज्यादा खर्च हुए, जांच-किट-दवा और आइसोलेशन पर खर्च 650 करोड़ रु. से ज्यादा https://ift.tt/3koJ7wv

(कैलाशपति मिश्र) खजाने पर पहला हक आपदा पीड़ितों का है। सीएम नीतीश कुमार का यह ऐलान कोरोनाकाल में एक बार फिर सही साबित हुआ। राज्य में कोरोना का पहला केस 22 मार्च को सामने आया था। तब से लेकर अब तक सरकार ने महामारी का मुकाबला करने में हर मोर्चे पर ताकत झोंकी।

चाहे वह लॉकडाउन आए श्रमिक हों, जांच, इलाज, किट, दवा और मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर हो। इन इंतजामों पर 2977 करोड़ रुपए से अधिक राज्य सरकार खर्च कर चुकी है। इसका असर भी दिखा। जुलाई में राज्य में संक्रमण दर 14% के करीब थी, वह अब 1.42% रह गई है।

संक्रमण रोकने के लिए सरकार ने ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट और ट्रैकिंग के सिद्धांत पर अमल किया, संक्रमण में कमी उसी का परिणाम है। एक दिन में डेढ़-डेढ़ लाख जांच की गई। राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी बना। कोरोना मद में राज्य सरकार खर्च के दो कंपोनेंट है। पहला, प्रवासी मजूदरों को दी गई सहयता, उन्हें क्वारेंटाइन सेंटर में रखने पर खर्च जो लगभग 1059 करोड़ है। दूसरा, कोरोना के रोकथाम और इलाज पर किया गया 1918 करोड़ खर्च।

स्वास्थ्य विभाग में भर्ती

विशेषज्ञ डॉक्टर 916
सामान्य एमबीबीएस 4000
ए-ग्रेड नर्स 7500

(कोरोना के दौरान 14000 से अधिक डॉक्टर व स्वास्थ्य कमी नियुक्त हुए)

प्रोत्साहन के रूप में दी गई एक महीने की सैलरी पर 718 करोड़ खर्च

बीते पांच माह 25 दिन में व्यय हुई इस राशि में कोरोना की जांच के लिए रैपिड एंटीजन किट, पीपीई किट, मास्क, दवा,जरूरी मेडिकल इक्यूपमेंट, सैनिटाइजर, डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों को प्रोत्साहन के रूप में दी गई एक माह की सैलरी और आइसोलेशन सेंटर चलाने के मदद में करीब 718 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। प्रति कोरोना मरीज 45 हजार रुपए से अधिक हुआ। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय बताते हैं कि कोरोना से लड़ाई में पैसा कोई मुद्दा नहीं है। राज्य को केंद्र से स्टेट डिजास्टर रिस्क मैनेजमेंट फंड से 708 करोड़ मिले हैं।

केंद्र से मिले इक्विपमेंट

आरटीपीसीआर 10
ट्रूनेट मशीन 86
वेंटीलेटर 448
कोबास मशीन 2
ऑक्सीजन सिलेंडर 1000

मुआवजे का प्रावधान: राज्य सरकार ने कोरोना से मरने वालों को मुआवजा देने का प्रावधान किया है। जिसके तहत मृतक के परिजन को 4 लाख रुपए दिए जाते हैं। राज्य में अभी तक कोरोना से 822 मौतें हुई है।



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More than 45 thousand rupees were spent on treatment and health facilities of a patient, more than 650 crores spent on check-kit-medicine and isolation


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