देश के लिए बलिदान देने वालों के लिए सिर्फ एक बार ट्वीट होता है...और फिर भुला दिया जाता है https://ift.tt/2DjWQom
(प्रेम सूद) सरकार शहीदों के सम्मान में उचित नीति बनाए, उनके बलिदानों को राष्ट्र गौरव स्वीकार करे, ये मांग शहीद अनुज सूद ने पिता ने राष्ट्रपति से की है। कश्मीर में शहीद हुए मेजर अनुज सूद के पिता रिटायर्ड ब्रिगेडियर चंद्रकांत सूद ने ऑनलाइन याचिका लगा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष शहीदों की हो रही बेकद्री का मुद्दा उठाया है।
उनकी मांग है कि शहीदों के परिवारों को एक पत्र जारी हो जिसे प्रमाणिक दस्तावेज का दर्जा मिले ताकि शहीद के परिवारों को किसी भी प्रमाण के लिए दर-दर ना भटकना पड़े। उन्होंने लोगों से भी मुहिम पर हस्ताक्षर करने का आग्रह किया था। उन्हें अब तक 2 लाख 13 हज़ार 286 लोगों का समर्थन मिल चुका है।
याचिका में लिखा- शहीदों को राष्ट्र गौरव मान प्रमाण पत्र जारी किया जाए
मुझे मेरे बेटे के बलिदान पर गर्व है। उसने 30 वर्ष की आयु में देश के लिए अपने प्राण न्योछावर किए। यह याचिका मैं अपने बेटे के लिए नहीं बल्कि उस हर भारतीय के लिए लिख रहा हूं जिन्होंने देश की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है। मेरे बेटे का बचपन से ही सपना था कि वो सैनिक बने। उसने 30 वर्ष की आयु में देश की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।
इस घटना में चार सेना के अन्य अधिकारी भी थे। वे 2 मई 2020 को जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा स्थित चांजमुल्ला में आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में शहीद हुए थे, इनमें कर्नल आशुतोष शर्मा, नायक राजेश कुमार, लांस नायक दिनेश सिंह और सब इंस्पेक्टर सगीर काजी शामिल थे।
उन्होंने चार आतंकवादियों को मार दिया था। 3 मई की सुबह आठ बजे परिवारों को सूचना मिली। इस घटना की सूचना इससे पहले कई वॉट्सएप ग्रुप्स और मीडिया में सर्कुलेट हो चुकी थी। यह देखकर खुशी होती है कि देश के लोग राजसी फ्लाई पास्ट के साथ अपने कोरोना बहादुरों को दिलों से सलाम कर रहे हैं।
लेकिन, शहीदों के लिए शायद ही कोई फ्लाई पास्ट हो, हाफ मास्ट में कोई झंडे नहीं, कोई राष्ट्रीय शोक नहीं, हमारे बहादुर सैनिकों के लिए दिलों से सलाम करने वाले का कोई टेलीकास्ट नहीं। क्या आप जानते हैं कि सरकार ने हमारे नायकों के बलिदान को कैसे स्वीकार किया, उन्होंने 140 शब्दों का ट्वीट कर उल्लेख करते हुए कहा कि 5 बहादुरों ने आतंकवादियों से जूझते हुए अपना जीवन बलिदान कर दिया।
लेकिन, उनके नामों का उल्लेख तक नहीं किया। सरकार के इस व्यवहार से शहीद के घरवाले आहत और उपेक्षित महसूस करते हैं। एक ट्वीट काफी नहीं है। उनके नाम कहे जाने थे। इन बहादुरों के बलिदान को स्वीकार करें। मौन में खड़े रहें और अपने परिवारों के साथ समर्थन करें। हमारे नायक अधिक योग्य हैं।
राष्ट्रपति और पीएम के समक्ष किशन कपूर ने उठाया मामला
यह मामला 7 जुलाई को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के समक्ष कांगड़ा-चम्बा से लोकसभा सदस्य किशन कपूर ने उठाया था।
प्रेसिडेंट ने दिया आश्वासन, अब रक्षा सचिव करेंगे कार्यवाही
राष्ट्रपति कार्यालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी अजय भादू (आईएएस) द्वारा 22 जुलाई को लिखे पत्र के अनुसार राष्ट्रपति ने सांसद किशन कपूर के पत्र को रक्षा सचिव को समुचित कार्यवाही के लिए प्रेषित किया है।
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