कमेंटेटर भी खिलाड़ी के साथ रंग के आधार पर भेदभाव करते हैं, श्वेत खिलाड़ी की स्किल और अश्वेत की ताकत पर अधिक बात होती है
जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद अश्वेत के साथ भेदभाव का मुद्दा चर्चा का केंद्र बना हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार फुटबॉल मैच के दौरान कमेंटेटर भी खिलाड़ी के साथ रंग के आधार पर भेदभाव करते हैं। प्रोफेशनल फुटबॉलर्स एसोसिएशन (पीएफए) ने डैनिश फर्म रन रिपीट के साथ मिलकर रिसर्च कराया है।
इसमें स्पेनिश लीग ला लिगा, इंग्लिश लीग प्रीमियर लीग, इटैलियन लीग सीरी ए और फ्रेंच लीग लीग-1 के 2019-20 सीजन के 80 मैचों का एनालिसिस किया गया है। इसमें पाया गया है कि कमेंटेटर लाइटर स्किन वाले खिलाड़ी के इंटेलिजेंस, वर्क एथिक्स के बारे में ज्यादा बात करते हैं। वहीं डार्क स्किन वाले खिलाड़ियों की क्षमता, ताकत और पावर के बारे में बात की जाती है। लाइटर स्किन वाले खिलाड़ियों की स्किल, लीडरशिप और नॉलेज के लिए लगातार तारीफ जबकि डार्क स्किन वाले खिलाड़ियों की आलोचना से फुटबॉल देख रहे दर्शकों की सोच पर असर पड़ता है।
2074 बयान की समीक्षा की गई
रिसर्च 634 खिलाड़ियों पर हुआ। इसमें कमेंटेटर के 2,074 बयान की समीक्षा की गई। खिलाड़ियों को स्किन के आधार 1 से 20 तक का स्कोर दिया गया और फिर लाइटर स्किन वाले खिलाड़ी या डार्क स्किन वाले खिलाड़ी के रूप में नामित किया गया। खिलाड़ियों को फुटबॉल मैनेजर 2020 वीडियो गेम के डेटाबेस का उपयोग करके स्किन टोन के अनुसार कोड किया गया। रिसर्च में पाया गया है कि डार्क स्किन वाले खिलाड़ियों की ताकत पर कमेंट की संभावना 6.59 गुना ज्यादा रहती है। उनकी स्पीड पर 3.38 गुना ज्यादा बार कमेंट किया जाता है। इंटेलिजेंस और वर्क एथिक्स पर 60% से अधिक तारीफ लाइटर स्किन टोन वाले खिलाड़ियों की होती है।
इंग्लिश फुटबॉल में मैनेजर की संख्या बढ़ाई जाएगी
प्रीमियर लीग, ईएफएल और पीएफए इंग्लैंड में ब्लैक, एशियन और माइनॉरिटी लोगों के मैनेजर की संख्या बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। अभी 91 क्लब में सिर्फ 6 ऐसे मैनेजर हैं। अगले सीजन में 6 कोच को ईएफएल क्लब के साथ 23 महीने के लिए रखा जाएगा।
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